pb8 live news ::भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने हाल ही में लद्दाख के लेह में देश के पहले एनालॉग स्पेस मिशन की शुरुआत की है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि इसके माध्यम से इसरो उन चुनौतियों का सामना करने की तैयारी करेगा जो भविष्य में पृथ्वी से दूर स्थित स्थलों पर एक बेस स्टेशन स्थापित करने के दौरान सामने आ सकती हैं। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को ऐसे वातावरण में प्रशिक्षित करना है, जो विभिन्न आकाशीय पिंडों पर मिशनों के लिए आवश्यक है।
एनालॉग स्पेस मिशन का महत्व
एनालॉग स्पेस मिशन एक प्रयोगात्मक कार्यक्रम है, जिसमें वैज्ञानिक उन स्थानों का चयन करते हैं, जो अन्य ग्रहों के वातावरण और स्थिति से मेल खाते हैं। इन स्थानों को विशेष मानकों के अनुसार तैयार किया जाता है ताकि यहाँ पर अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण दिया जा सके। यह प्रक्रिया वास्तविक अंतरिक्ष मिशनों की नकल करने का कार्य करती है और मिशन के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
लद्दाख का चयन क्यों किया गया?
लद्दाख का चयन इस मिशन के लिए विशेष रूप से उसके भूवैज्ञानिक विशेषताओं के कारण किया गया है। यहाँ का ठंडा और शुष्क वातावरण, और ऊँचाई पर स्थित क्षेत्र चाँद और मंगल ग्रह की स्थितियों से मिलते-जुलते हैं। लद्दाख में उच्च ऊँचाई पर स्थित ठंडे जलवायु के कारण, वैज्ञानिक यहाँ के वातावरण का अध्ययन कर सकते हैं और यह जान सकते हैं कि यह कैसे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, लद्दाख की भौगोलिक संरचना भी विभिन्न तकनीकी परीक्षणों के लिए अनुकूल है।
मिशन के दौरान क्या गतिविधियाँ होंगी?
इस एनालॉग मिशन के दौरान, भाग लेने वाले लोग दूसरे ग्रहों पर रहने की स्थितियों का अनुभव करेंगे। यहाँ पर वे न केवल अपनी शारीरिक स्थिति का परीक्षण करेंगे, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और प्रबंधन कौशल का भी आकलन किया जाएगा। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया के दौरान विभिन्न परिस्थितियों में क्रू सदस्यों की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान देंगे।